चन्द्र षष्ठी (भाद्रपद शुक्ल पक्ष)

“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”
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भविष्यपुराण के अनुसार भाद्रपद कृष्ण पक्ष षष्ठी को चन्द्रोदय के समय चन्द्र को अर्घ्य दिया जाता है। चन्द्रमा के उदयकाल में षष्ठी का होना आवश्यक है। यह पूर्व युक्ता लेना चाहिये।

व्रत की विधि
एक पटरे पर जल का लोटा रखकर उस पर रोली छिड़ककर सात टीके लगाए जाते हैं। एक गिलास में गेहूं रखे जाते हैं और ऊपर अपनी श्रद्धानुसार रुपये रखते हैं। हाथ में गेहूं के सात दाने लेकर कथा सुनते हैं। इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देते हैं। गेहूं तथा रुपये ब्राह्मण को देते हैं। चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद लड़कियां व्रत का नियम पालन करती हैं।

व्रत कथा
किसी नगर में एक सेठ सेठानी रहा करते थे। सेठानी मासिक धर्म के समय भी बर्तनों को स्पर्श करती थी। कुछ समय के बाद सेठ और सेठानी की मृत्यु हो गई। मृत्यु के बाद सेठ को बैल और सेठानी को कुतिया की योनि प्राप्त हुई। दोनों अपने पुत्र के घर में रखवाली करते थे। पिता का श्राद्ध था। पत्नी ने खीर बनाई। वह किसी काम से बाहर गई तो एक चील खीर के बर्तन में सांप डाल गई। बहू को इस बात का पता नहीं चला। पर कुतिया यह सब देख रही थी। उसे पता था कि खीर मे चील सांप गिराकर चली गई।
कुतिया ने सोचा कि इस खीर को ब्राह्मण खाएंगे तो मर जायेंगे। यही सोचकर कुतिया ने खीर के पतीले मे मुंह डाल दिया। गुस्से में आकर बहू ने कुतिया को जलती लकड़ी से बहुत मारा जिसके कारण उसकी रीढ़ की हड्डी टूट गई। बहू ने वह खीर फेंक दी और दूसरी खीर बनायी। सभी ब्राह्मण भोजन से तृप्त होकर चले गए। लेकिन बहू ने कुतिया को झूठन तक नहीं दी। रात होने पर कुतिया और बैल बात करने लगे। कुतिया बोली, “आज तो तुम्हारा श्राद्ध था। तुम्हें तो खूब पकवान खाने को मिले होंगे। लेकिन मुझे आज कुछ भी खाने को नहीं मिला उल्टा बहुत पिटाई हुई है। उसने खीर और सांप वाली बात बैल को बता दी।
बैल बोला,” आज तो मैं भी भूखा हूं। कुछ भी खाने को नहीं मिला। आज तो और दोनों से भी ज्यादा काम करना पड़ा। बेटा और बहू बैल और कुतिया की सारी बातें सुन रहे थे। बेटे ने पंडितों को बुलाकर पूछा और अपने माता पिता की योनि के बारे में जानकारी ली कि वे किस योनि में गये हैं।
पंडितों ने बताया कि माता कुतिया योनि मे और पिता बैल की योनि मे गये हैं। लड़का सारी बात समझ गया और उसने पंडितों से उनकी योनि छूटने का उपाय भी पूछा। पंडितों ने सलाह दी कि भाद्रपद मास की कृष्ण पक्ष की षष्ठी को जब कुंवारी लड़कियां चंद्रमा को अर्घ्य देने लगें, तब ये दोनों उस अर्ध्य के नीचे खड़े हो जायें तो इनको इस योनि से छुटकारा मिल सकता है। तुम्हारी मां ऋतु काल में सारे बर्तनों को हाथ लगाती थी, इसी कारण इसे यह योनि मिली थी।” आने वाली चन्द्र षष्ठी पर लड़के ने उपरोक्त बातों का पालन किया, जिससे उसके माता – पिता को कुतिया और बैल की योनि से छुटकारा मिल गया।

॥ श्रीरस्तु ॥
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श्री हरि हरात्मक देवें सदा, मुद मंगलमय हर्ष।
सुखी रहे परिवार संग, अपना भारतवर्ष ॥
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संकलनकर्ता –
पंडित हर्षित द्विवेदी
(‘हरि हर हरात्मक’ ज्योतिष)
संपर्क सूत्र – 07089434899
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Pandit Harshit Dwivedi Ji Maharaj is a highly educated and simple, true and meaningful Astrology, Vastu Consultant, who is always striving to take Sanatan Vedic Dharma and religious traditions and divine power to the highest pinnacle of progress.

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