श्री विष्णु अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्
꧁❀“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”❀꧂
अथ् श्री विष्णु अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम्
श्री विष्णु अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र का श्रद्धापूर्वक पाठ किया जाए तो घर में सुख-समृद्धि और धन में वृद्धि होती है। कुंडली में बृहस्पति के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए श्री विष्णु अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्र का पाठ फलदायी है माना गया है।
विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र में भगवान विष्णु के १०८ नामों का वर्णन किया है। इस पाठ को करने से व्यक्ति के भौतिक इच्छाओं की पूर्ति होती है तथा बिगड़े काम बनने लगते हैं। मान्यता है कि प्रतिदिन विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र पाठ को सुनने मात्र से भय दूर हो जाता है और लक्ष्य को प्राप्त करने की शक्ति मिलती है।
विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का प्रतिदिन जप करने से भी आत्मविश्वास बढता है. मन एकाग्र रहता है। तनाव से मुक्ति मिलती है। विष्णु अष्टोत्तर शतनाम स्तोत्र का नियमित जाप करने से घर में सुख सौभाग्य और खुशियां आती हैं। आर्थिक पक्ष में मजबूती मिलती है।
अष्टोत्तर शतं नाम्नां विष्णोरतुल तेजसः ।
अस्य श्रवणमात्रेण नरोनारायणो भवेत् ॥१॥
विष्णुर्जिष्णुर्वषट्कारो देवदेवो वृषाकपिः ।
दमोदरो दीनबन्धुरादिदेवोऽदितेस्स्तुतः ॥२॥
पुण्डरीकः परानन्दः परमात्मा परात्परः ।
परशुधारीच विश्वात्मा कृष्णः कलिमलापहः ॥३॥
कौस्तुभोद्भासितोरस्को नरो नारायणो हरिः ।
हरो हरप्रियः स्वामी वैकुण्ठो विश्वतोमुखः ॥४॥
हृषीकेशोऽप्रमेयाऽत्मा वराहो धरणीधरः ।
धर्मेशो धरणीनाधो ध्येयो धर्मभृतांवरः ॥५॥
सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्ष सहस्रपात् ।
सर्वगः सर्ववित्सर्वं शरण्यः साधुवल्लभः ॥६॥
कौसल्यानन्दनः श्रीमान् रक्षःकुलविनाशकः ।
जगत्कर्ता जगद्धार्ता जगज्जेता जनार्तिहा ॥७॥
जानकीवल्लभो देवो जयरूपो जयेश्वरः ।
क्षीराब्धिवासी क्षीराब्धितनयावल्लभ स्तधा ॥८॥
शेषशायी पन्नगारिवाहनो विष्टरश्रवः ।
माधवो मथुरानाथो मुकुन्दो मोहनाशनः ॥९॥
दैत्यारिः पुण्डरीकाक्षो ह्यच्युतो मधुसूदनः ।
सोमसूर्याग्निनयनो नृसिंहो भक्तवत्सलः ॥१०॥
नित्यो निरामयश्शुद्धो नरदेवो जगत्प्रभुः ।
हयग्रीवो जितरिपुरुपेन्द्रो रुक्मिणीपतिः ॥११॥
सर्वदेवमयः श्रीशः सर्वाधारः सनातनः ।
स्ॐयः स्ॐयप्रदः स्रष्टा विष्वक्सेनो जनार्दनः ॥१२॥
यशोदातनयो योगी योगशास्त्रपरायणः ।
रुद्रात्मको रुद्रमूर्तिः राघवो मधुसूधनः ॥१३॥
इति ते कथितान्दिव्यान्नाम्नामष्टोत्तरं शतम् ।
सर्वपापहरं पुण्यं विष्णो रमिततेजसः ॥१४॥
दुःख दारिद्र्य दौर्भाग्य नाशनं सुखवर्धनम् ।
सर्वसम्पत्करं स्ॐयं महापातक नाशनम् ॥१५॥
प्रातरुत्थाय विपेन्द्र पठेदेकाग्रमानसः ।
तस्य नश्यन्ति विपदा राशयः सिद्धिमाप्नुयात् ॥१६॥
॥ इति श्री विष्णु अष्टोत्तरशतनाम स्तोत्रम् सम्पूर्णम् ॥
॥ श्रीरस्तु ॥
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श्री हरि हरात्मक देवें सदा, मुद मंगलमय हर्ष।
सुखी रहे परिवार संग, अपना भारतवर्ष॥
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┉ संकलनकर्ता ┉
श्रद्धेय पंडित विश्वनाथ प्रसाद द्विवेदी
‘सनातनी ज्योतिर्विद’
संस्थापक, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
(‘हरि हर हरात्मक’ ज्योतिष)
संपर्क सूत्र – 07089434899
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