श्री महापुरुष चरणारविन्द स्तोत्रम्
॥ श्रीमहापुरुषचरणारविन्दस्तोत्रम् ॥
ध्येयं सदा परिभवघ्नमभीष्टदोहं तीर्थास्पदं शिवविरिञ्चिनुतं शरण्यम् ।
भृत्यार्तिहं प्रणतफालभवाब्धिपोतं वन्दे महापुरुष ते चरणारविन्दम् ॥१॥
शोणारविन्दकलशध्वजकल्पकादि-मीनातपत्रमकराङ्कुशवशङ्खः ।
यच्चिह्नितं परमयोगिमुनीन्द्रसेव्यं वन्दे महापुरुष ते चरणारविन्दम् ॥२॥
मुक्तिप्रदं परमयोगिमुनीन्द्रसेव्यं तापत्रयानलनिवारणमादिभूतम्।
वृन्दावनस्थलविहारविनोदलीलं वन्दे महापुरुष ते चरणारविन्दम् ॥३॥
विन्यस्तमरतमथ शस्तसमस्त-कल्याणवैभवसुधास्पदमास (माशु) गम्यम् ।
मन्दाकिनीजननकारणहेतुभूतं वन्दे महापुरुष ते चरणारविन्दम् ॥४॥
यत्कालियोरगफणामणिरत्नशोणं गोपाङ्गनाकरसरोरुहयोगयोग्यम् ।
नानाविधश्रुतिलतोत्पलमूलकन्दं वन्दे महापुरुष ते चरणारविन्दम् ॥५॥
॥ इति श्रीमहापुरुषचरणारविन्दस्तोत्रं सम्पूर्णम् ॥
स्तोत्र के पाठ के लाभ
श्री महापुरुष चरणारविन्द स्तोत्रम् के नियमित पाठ से भक्तों को निम्नलिखित लाभ प्राप्त होते हैं।
* इस स्तोत्र के नियमित पाठ से सांसारिक मोह और माया से मुक्ति प्राप्त होती है और व्यक्ति को भगवान की भक्ति में मन लगता है।
* श्रीमद्भागवत में इस स्तोत्र को भगवान की भक्ति और प्रेम को बढ़ाने वाला माना गया है।
* इस स्तोत्र के पाठ से सृष्टि का कल्याण होता है और सभी प्राणियों को सुख मिलता है।
* इस स्तोत्र के पाठ से मन को शांति मिलती है और व्यक्ति को सुख और शांति का अनुभव होता है।
* इस स्तोत्र के पाठ से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
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