जन्म कुण्डली में धन योग
꧁❀“ॐ हरि हर नमो नमःॐ”❀꧂
धन योग
दिन में जन्म होने पर चन्द्रमा अपने या अधि- मित्र के नवांश मे स्थित हो और उसे गुरू देखता हो तो धन-सुख योग होता है। इसी प्रकार की रात्रि में जन्म होने पर चन्द्रमा को शुक्र देखता हो तो धन-सुख योग बनता है। यह अपने नाम के अनुसार, फल देता है।
धन योग एक शक्तिशाली योग है जो किसी व्यक्ति के जीवन में धन और समृद्धि लाने की भविष्यवाणी करता है। यदि आपकी कुंडली में धन योग है, तो आपको धन और समृद्धि की प्राप्ति होने की संभावना है। यदि आप धन योग को मजबूत करना चाहते हैं, तो आप ज्योतिषीय उपायों का सहारा ले सकते हैं, जैसे कि भगवान विष्णु की पूजा करना और तिल का दान करना।
गुरु, शुक्र, बुध जैसे शुभ ग्रहों की स्थिति धन योग को मजबूत करती है। यदि ये ग्रह धन भाव में या उनके स्वामी के साथ युति करते हैं, तो धन योग अधिक शक्तिशाली होता है।
जन्म कुंडली में दूसरे भाव को धन का भाव और ग्यारहवें भाव को लाभ का भाव माना जाता है। इन दोनों भावों के स्वामियों का एक-दूसरे से संबंध (युति या दृष्टि) धन योग बनाता है।
लग्न, पांचवा और नौवां भाव (त्रिकोण भाव) और पहला, चौथा, सातवां और दसवां भाव (केंद्र भाव) के स्वामियों का आपस में संबंध भी धन योग को मजबूत कर सकता है।
लग्नेश (जन्म कुंडली के पहले भाव का स्वामी) और धन भाव के स्वामियों का संबंध धन योग को मजबूत कर सकता है।
महालक्ष्मी योग, गजकेसरी योग और विष्णु योग जैसे अन्य योग भी धन योग को प्रभावित कर सकते है।
धन योग के होने से जीवन में धन और समृद्धि का आगमन होता है, सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होने के साथ-साथ, यश और प्रतिष्ठा की प्राप्ति भी होती है, और भाग्य में वृद्धि होती है।
॥ श्रीरस्तु ॥
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श्री हरि हरात्मक देवें सदा, मुद मंगलमय हर्ष।
सुखी रहे परिवार संग, अपना भारतवर्ष॥
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┉ संकलनकर्ता ┉
श्रद्धेय पंडित विश्वनाथ प्रसाद द्विवेदी
‘सनातनी ज्योतिर्विद’
संस्थापक, अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक
(‘हरि हर हरात्मक’ ज्योतिष)
संपर्क सूत्र – 07089434899
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